मुझे बेटे को दिखाने किसी अच्छे साइकोट्रिस्ट की जरूरत थी तो मै गूगल में सर्च कर सबको कॉल कर रही थी ताकि उनके नंबर सुरक्षित कर सकू.
संयोग से मुझे डॉ एस. एल. खन्ना का नंबर मिल गया जो कि 47वर्षों से सेवा दे रहें थे.
मैंने बेटे से कहा -डॉ साहब का लम्बा अनुभव है उनसे
लेते है.
और उन्हें कॉल करते ही उनका नंबर लग गया कुछ सेकंड में ही एक महिला ने फोन उठाया और बोली -किससे काम है?
मैंने बताई -डॉ खन्ना से.
उन्होंने मेरा नाम पूछा मैंने नाम बताई.
फिर उन्होंने कहा -डॉ साहब की डेथ हो चुकी है.
सुनकर मैं हटप्रभ रह गईं.
शायद उधर उनकी पत्नी थी क्योंकि जो दुख उनकी आवाज में परिलक्षित हो रहा था वो मुझे आहत कर गया.
मैंने पूछा -कब?
वे बोली -1मई को…
ओह… सो सॉरी..
मै इतना ही कह सकी कितने आश्चर्य की बात थी कि मै 9माह से मुंबई में थी पर कभी डॉ खन्ना को दिखाने का ख्याल नहीं आया और आज ज़ब मैने उनका अपॉइंटमेंट लेना चाहा तो वो अब दुनिया में नहीं रहें. मुझे इस संयोग पर आश्चर्य और दुख दोनों हुआ.
(अप्रकाशित व मौलिक रचना )
लेखिका -जोगेश्वरी सधीर
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