हम सपने देखते है और जिंदगी भर सपनों के लिए ही जीते है सपनों के लिए मरते है. कितनी रातें सपनों के लिए जागते है ये सपने हमें जिलाते है जीताते है और मारते भी है. सपने हमारे साथ मरने के बाद भी जाते है वे हमें ताउम्र नहीं छोड़ते सपने हमें अकेले नहीं होने देते. ज़ब कोई इंसान मरता है तो उसके साथ उसका सपना भी मरता है आगे चलता है तो स्वप्न ही जो हमें नये जीवन तक ले जाता है इस तरह सपनों की यात्रा जन्म जन्म तक चलती है. आपका क्या कहना है इस बारे मे कमेंट कीजिये…
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