बेटा कहता है -मम्मी!पापा को इतनी पेंशन मिलती थी पर उन्होंने अपनी दवा -इलाज नहीं किये जिससे उनकी मृत्यु हो गईं.
मै उसे यंही बता सकी कि वो अपने तरिके से रहे अपनी idealogy से रहे.
ज़ब वो छिंदवाड़ा मे थे अकेले थे और कैसे उन्होंने वक़्त काटा था. मुझे बताते थे कि वो अपने काम के बाद कई बार एक टिपरी मे बैठकर चाय पीते थे. आते -जाते लोगों को देखना और चाय पीना ये उनकी दिनचर्या थी.
ये बताते वक़्त उनकी ऑंखें भींग गईं थी.
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