पप्पीज वर्ल्ड
Written by Jogeshwari Sadhir Sahu
भूमिका
इस दर्दनाक हादसे को लिखने के लिए मुझे पत्थर का कलेजा करना पड़ रहा है. आओ!आपको उनकी उस संघर्ष की दुनिया में चले और देखे कि कितनी निर्मम है इन इंसानों की दुनिया..
कुछ दुख ऐसे होते है कि दिल पर भारी होते है. मै यंहा पिछले माह से उन्हीं दर्द से गुजरी हूँ.
ये उन मासूमों की व्यथा -कथा है जिन्हें लोग लावारिस कहते है मै धिक्कारती हूँ ऐसे ह्रदय-हीन लोगों को.
ज़ब शाम को कंही चादर की आड़ में किसी बकरी के बच्चे को काटे जाते देखती हूँ और लोग लाइन लगाकर खड़े होते है कि उसकी बोटी ले जायेंगे तो बहुत दुख होता है कारण वंही उस बच्चे की माँ (बकरी )अपने शावक को काटे जाते देख रुदन करती है और रात मातमी हो जाती है.
ये उन मासूम पिल्लो की दारुण दुख की कहानी है जिनसे मै दो माह पूर्व ही परिचित हुई थी. वो तब बहुत ठंड के दिन थे. तब कुछ पिल्ले एक कुतिया (फीमेल डॉगी )ने दिए थे जो अक्सर अपनी माँ का दूध पीते मस्त दिखते थे ज़ब मै वंहा से आती -जाती थी. हमारे घर भी इधर कुछ पिल्लो ने आश्रय लिया था तो मेरा वक़्त बहुत व्यस्तता से गुजरता था.
एक घिरती साँझ में ज़ब अंधेरा घिर रहा था बेटे के साथ स्कूटी से मै वंहा से गुजरी तो देखती हूँ इतनी कड़ाके की ठंड में वंहा नंगे फर्श पर एक घर के सामने बेचारी कुतिया लेटी थी और बाकि चारों पिल्ले उससे चिपके सो रहें थे. शाम से वो सब सो रहें थे. मेरी नज़र कुतिया के मुख पर गईं थी तो हल्के धुंधलके में भी लगा था कुछ अप्रत्याशीत था उस कुतिया का मुख कुछ अजीब सा खुला हुआ था या तो वो तब गुजर चुकी थी या वो शायद आखिरी सांस ले रही थी. पर अपने घर में राह देख रहें पिल्लो के लिए मै बिना रुके चली गईं थी.
अगले दिन पता चला वो कुतिया नही रही थी. मेरा दिल बैठ गया क्या होगा उन मासूम पिल्लो का सोचने लगी. ये भी समझ गईं कि उस शाम अपनी मृत माँ के शरीर से सटे पिल्ले माँ के शव से भी गर्मी पा रहें होंगे पर वो जिस्म तो ठंडा हो गया होगा.
बहुत दुख हुआ. कुछ दिनों पहले ही वो नन्हा डॉगी नाली में गिर गया था तो वंहा मजदूरों ने उसे एक बोरी में धोकर रखें थे. ताकि वो धूप में गरमाहट पा सके. तब मैंने कही थी -इस पिल्ले की माँ कंहा गईं?
तो वंहा काम कर रही एक मजदूर औरत मज़ाक में बोली थी -उसकी माँ उसको छोड़कर गांव गई.
तब ये कंहा पता था कि वो हँसी में कही बात सच हो जायेगी. और पिल्लो की माँ उन्हें जाड़े में छोड़कर इस तरह से अचानक चली जायेगी.
उसके बाद उन पिल्लो की बड़ी चिंता हुई बहुत ज्यादा ठंड थी और पिल्ले मर रहें थे. कोई उन्हें शेल्टर नहीं दे रहा था कोई सहारा नहीं था उन पिल्लो को. तब एक काले रंग के आदमी ने पिल्लो के लिए दो शेल्टर बनाया था एक पाइप का और एक कार्टून का उसमें पैरा बिछा कर बोरा भी रख दिया था और एक बोरी से ढाक दिया था. बेचारे पिल्ले वंही रहते. एक दो दिन उन्हें दूध भी पिलाया लेकिन बाद में नहीं दिया कुछ. बेचारे पिल्ले खाने की फिराक में निकल जाते और बच्चे तो उस नन्हें shy पिल्ले को बहुत सताते वो छिप जाता था. वो अकेले डिप्रेशन में रहता. खाता भी कम था. बड़े पिल्ले उसे मारते भी पर मै उनके लिए कुछ लेकर जाती तो सभी पिल्ले लपक कर आते और लड़ -झगड़ा कर रोटी खाते. एक पिल्ला बहुत तेज हो गया था.
वो पिल्ले सुबह कंही भी निकल जाते जैसे भी मिलता खाते थे और उन्हें पानी भी जमीन में बहता नसीब होता. औरतें दया नहीं दिखाती थी. पास में एक पंडित के यंहा पूजा थी तो गौवो को तो खिलाया पर पिल्लो की किसी ने खबर नहीं ली. ये कैसी ह्रदयहीनता थी.
बेचारे मंदिर के पास तक आ गए थे उन्हें ढूंढ़ते पहुंची तो नहीं थे. आखिरी वक़्त एक साथ चारों पिल्ले दिखे थे वंही उनका अंतिम साथ था.3-4माह की उम्र में मौत के मुख से बचते वो जानते भी नहीं थे कि उनका पीछा मौत कर रही है.
उस दिन दो पिल्ले अपने पाइप के पास ही खा रहें थे एक को मैंने कुछ लगा दिखा तो बेग से निकाल उसके टांग में दवा लगा दी थी. बड़े प्यार से वो दवा लगा रहा था.
मै आगे बढ़ी तो दो पिल्ले मेरे पीछे आने लगी. उनमें से एक को मैंने फिर दवा लगा दी. बेग में सभी दवा लेकर चलती हूँ. वंही दवा लगाकर आगे बढ़ी तो पिल्ले मेरे पीछे आने लगे बहुत भगाई मारी भी पर मेरा पीछे वो आते रहें. तब मैंने लकड़ी से डराई तो जो तेज गुस्से वाला पिल्ला था वो दूसरे को मारने लगा तब मैंने दूर से ही मना की फिर आगे बढ़ गईं. पर दूसरे पिल्ले को तेज पिल्ला जाने क्यों मार रहा था. तब मैंने दूर से एक काले कुत्ते को उनकी तरफ जाते देखी तो लगा काला कुत्ता उन्हें अलग करने जा रहा है ये मेरी भूल थी.
फिर पिल्लो की आवाज आने लगी तो मै जाकर काले कुत्ते को भगाने लगी तो भी वो कुत्ता तेज पिल्ले को मुख में दाबे ले जा रहा था किसी तरह से मैंने उसे छुड़ाई. काला कुत्ता गुर्राता खड़ा रहा फिर दूर जाकर देखने लगा. तब मैंने उसे भगा दी और पिल्लो को नाली से निकालने की कोशिश की पर वो डरकर नाली में ही घुसे रहें. और काले कुत्ते को दूर भगा कर मै बहन के घर चले गईं.
उस दिन उनके रहने की जगह वीरान दिखी बहुत ही सूना लग रहा था. तब मै रील भी नहीं बनाकर आगे निकल गईं. कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. मन उदास था. दो बार आई गईं पर वो पिल्ले वंहा अब नहीं थे.
कल फिर गईं तो वो लड़का जिसके घर के सामने पिल्ले नाली में रहते थे वो मेरे पास आकर बोला -उधर गार्डन तरफ एक पिल्ला मरा पड़ा है. काले कुत्ते ने उसका पेट फाड़ दिया.
सुनकर मै स्तब्ध रह गईं बहुत खराब लगा. मैंने पूछा -एक पिल्ला जो बहुत मारता था दूसरों को..
लड़के ने कहा -हाँ!वो ही..
ओह!”सुनकर मेरा दिल बैठ गया मन पछतावे से भर गया.
कल ही तो मेरे पीछे आ रहा था जरा सी दवा क्या लगा दी उसने तो मुझपर जान न्योछावर कर दी.
क्या इन जानवरो से बढ़कर कोई प्यार का प्रतिसाद देगा?
मै थोड़े से बिस्कुट खिलाती थी उसको अदा करने उसकी जान गईं.
यदि वो पिल्ले मेरे पीछे नहीं आते तो उन्हें काला कुत्ता नहीं देखता और वो बचा रहता. काले कुत्ते ने उन्हें मुख में दाबा था तो खून निकल आया था उस पिल्ले का पर इतना शांत बैठा रहा था और नाली में छिप गया था. उसके बाद से काला कुत्ता उन बेसहारा मासूमों के पीछे घात लगा कर रहा और अगले दिन 11बजे उसे पकड़ कर दाँत से फाड़ कर मार डाला.
कैसा जंगल राज है इस धार्मिक देश में लोग बड़ी पूजा करते है पर एक कुतिया नंगे फर्श पर सो रही थी तो उसे एक फटा चादर नहीं दे सकते. कंहा भुगतेंगे इस ह्रदयहीन असंवेदनशिलता को?
मुझे उस लड़के ने बताया उसका दुसरा पिल्ला वंही पास बैठा है तो मै देखने गईं.
ओह!उस मासूम गमजदा का दुख मुझे देख कलेजा मुंह को आ गया. वो कितना निराश था. एक कुत्ता और कुतिया उसे बचाते इस दुख में साथ थे पर पिल्ला इतना निढाल था ऑंखें सफ़ेद हो रही थी पत्थर पर सो रहा था. बिस्कुट नहीं खा रहा था. बस निरनिमेष मुझे ताकते जा रहा था मानो कह रहा हो -क्यों जरा सी देर को आकर हमें जिंदगी के सपने दिखाती हो? यंहा तो मौत पीछे लगी है?
उसने खाना छोड़ दिया था कोई डिब्बा नहीं था आसपास वाले बड़ी पूजा करते है कह नहीं सकी -इस बेचारे को दूध देना है कौन सुनेगा इस निर्मम समाज में? पिल्लो को जीने का हक़ नहीं दे रहें है लोग?
मेरे साइड ही तो कितने कुत्ते इस साल मर गए. मै उस मासूम को देख शोक में डूब गईं. क्योंकि अपने गुस्सैल भाई की मार सहकर भी उसे चाहते थे. वो इन सभी की हिम्मत था जीने का हौसला था उससे पर वो मौत के आतंक से गुस्सैल हो गया. मौत उसके सिर पर बैठी थी.
कितना छोटा था और कितना प्यारा? मुझे पाने मेरे साथ हेतु मेरे साथ आना चाहता था पर इधर कैसे लाती उनको. अभी तो मेरे पाले 2पिल्लो को अपने हाथों अग्नि दी है मोहल्ले की औरत ने मजदूरों से जहर देकर मरवा दी पहले धमकी दी थी.
मै तो उस दुख में इतनी व्यथित थी कि घर बेचने निकाल ली ताकि जल्दी से मै अपने पिल्लो की यादें लिए ये कठोर दिल वालों के साये से दूर हो जाऊ.
उस पिल्ले का दुख बहुत बड़ा था मै उसे जो बिस्कुट दे रही थी साथ वाला रक्षक कुत्ता खा रहा था. फिर मै मार्किट जाकर लौटी तब भी वो वैसे ही बैठा था. मुझे कंही भी दूध नहीं मिला.आह!इसे दूध भी नहीं पीला सकी.
मै दुख से भरी उस पिल्ले को समझा कर इधर उस जगह आई जंहा उन घरों में रहते थे वो चारों पिल्ले तो वो जगह उजाड़ लगी. मैंने उस लड़के को कहा -बेटा उस पिल्ले को बचा लो.. कुछ नहीं खा रहा मर जायेगा..
कंहा है कहकर वो दयालु लड़का साइकिल लेकर दौड़कर गया और मै दुखी ह्रदय से घर लौटी आश्वास्त थी कि वो पिल्ला बचा लिया जायेगा.
मार्किट जाते वक़्त मैंने उन्हीं में से एक पिल्ले को जान बचाते भागते देखी उसी नाली की ओर जंहा छिप कर उसने जान बचाई थी मै उसे पुकारती रह गईं थी.
फिर मुझे कई बार उस जगह से गुजरी पर कोई पिल्ले नहीं मिले दिल पर मनो बोझ पड़ जाता है ज़ब वो सूना पाइप देखती हूँ जिसके आसपास वो पिल्ले सोये रहते थे. मै वंहा खाना डाल आती थी. मैंने जो डोनट डाली थी वो वैसे ही पड़ा था. अब वो पिल्ले उस जगह से जा चुके थे. उनकी माँ के जाड़े से मर जाने पर सभी दूध की जगह रोटी -बिस्कुट खाकर रह रहें थे उनका लिवर बढ़ गया था पर खाते थे और छोटा मासूम तो बड़ा डरता व शर्माता था जाकर गार्डन में छिप जाता था. पर अब उसे लेकर वो कुत्ते व कुतिया कंही जा चुके थे. उस लड़के ने बताया कि वो पिल्ला नहीं मिला था. ओह!मतलब सिर्फ मेरी राह तक रहें थे और मुझसे मिलकर चल दिए नई जगह की खोज में जंहा वो शिकारी कुत्ता उन्हें नहीं मारे इससे क्योंकि वो उन्हें मारने की फिराक में इधर आएगा ही ये वो जान गए थे.
बेचारा मासूम पिल्ला भूखा -प्यासा क्या खा रहा होगा? माँ के दूध से वँचित होने पर दुसरा गुस्सैल होकर जैसे भगवान से नाराजी प्रकट कर रहा था कि तुमने इतनी छोटी उम्र में पैदा होने के एक माह के भीतर ही माँ को छीन लिया. कल वो भी माँ के पास जा मिला. मै खुद ही अपनी जगह छोड़ रही हूँ तब उन मासूमों को कंहा लाती?
जंगली और शिकारी कुत्तों से उस मासूम को बचाते वो संरक्षक कुत्ते उसे किसी दूसरी जगह ले गए है यदि बच गया तो शायद कभी दिखे? पर इधर नहीं लौटेगा क्योंकि जैसे भग्न ह्रदय से गया था उससे पता चलता था कि लोग उसे दूध या बिस्कुट नहीं देते थे?
कैसे लोग है इस जगह के मुझे ये मोहल्ले वीरान श्मशान से नज़र आए और वो औरतें डाइन जैसी लगी. ऐसी जगह छोड़कर जाने का मन बना ली हूँ कारण ये हत्यारे लोग कैसे पिल्लो के खून से अपने घरों की नींव सिंचकर पूजा का ढकोसला करते है.
इन पिल्लो की व्यथा बहुत है इतनी छोटी सी उम्र में वो इन मतलबी लोगों को पहचान गए कि ये इंसान नहीं हत्यारे है और इन भेड़ियों से दूर वो भगवान के पास चले गए वंही वो उसकी गोद में खेलेंगे. छोटा मासूम शर्मिला पिल्ला बच सके तो बड़ी बात होंगी और चमत्कार से कम नहीं होगा.
दुसरा पिल्ला जो भागता दिखा था अभी भी रास्ते में भटकती हूँ कि वो मिल जाये पर वो किसी नाली में छिपा होगा भूखा -प्यासा.. वंही शिकारी कुत्ता उसपर घात लगाए होगा..
हे भगवान!उसे बचा लीजिये.. पर लोगों की निर्मम निष्ठुरता से कैसे बचेंगे? हाँ!मर गए तो भगवान की गोद में जाकर खेलेंगे क्योंकि वो उपर वाला बड़ा दयालु है और प्यार करने वाले उन पिल्लो का इन्तजार करता है ये दुनिया उन्हें दुत्कारती है पर वो इन सच्चे दिल वालों को अपनी गोद में खिलाता है उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं है.
हे परमात्मा!उन माँ से वँचित पिल्लो को अपनी गोद में जगह दे उन्हें अपनी छत्र -छाया में पालना क्योंकि तेरे लिए असम्भव नहीं है कुछ भी. मै भी मासूम पिल्लो की मौत से दुखी होकर ये जगह छोड़ रही हूँ.
Jogeshwari Sadhir sahu @copyright
27/1/23
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