स्वरचित लेख युवा जगत
लेखिका जोगेश्वरी सधीर
पोर्न के साइड इफ़ेक्ट
कांति की नींद रात डेढ़ बजे खुल गईं. उसे उसका बेटा पारस उठा रहा था तो वो उठकर बेटे के पास आई. पारस ने बताया कि उसके सीधे हाथ मे अकड़न है और उसे कुछ भी पकड़ते भी नहीं बन पा रहा है.
कांति ने गौर से देखा. उसका 35 वर्षीय बेटा लेटे -लेटे ही हल्के लकवे का शिकार हो रहा था. तब उसके माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई.
जब कांति ने अपने पति मनसुख को बताई तो वो लगभग रो पड़ा. कांति ने समझाया कि रोने की कोई बात नहीं है. तब मनसुख तेल की बोतल लेकर पारस के हाथ की मालिश करने लगा.
बेटा कुछ देर बाद सहज हुआ और बोला -“मम्मी !मै अब अय्याशी करूंगा. “
कांति जानती थी कि पारस बेहद ईमानदार लड़का है वो 5 पैसा भी उसे बताये बिना नहीं खर्चता.
कांति ने उसे रोके बिना यंही कहा -“हाँ !तुम जरूर एन्जॉय करना. तुम्हारा जीवन तुम्हारा है और अपने जीवन मे एन्जॉय करने का हक़ उसे है. “
किन्तु कांति और पारस बहुत देर तक विचार करके किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये कि वो कंहा कैसे एन्जॉय कर पायेगा? कारण इस छोटे से शहर मे कोई जगह उन्हें अय्याशी की पता नहीं थी.
न ही पारस को ये आईडिया था कि इस टाउन मे लोग कंहा कैसे अय्याशी करते होंगे. ये सारे काम कंहा होते है इसका उसे कोई इल्म नहीं था.
अब कांति ने नेट पर सर्च किया कि लोग कंहा जाकर एन्जॉय करते है. लेकिन व्यवहारिक रूप से ऐसा कुछ उसे पता नहीं चल सका. लगभग खाली हाथ ही रही कांति सुबह तक चिंतन -मनन करके भी.
सुबह पारस ने बताया -“मम्मी !मै अक्सर बोर होने पर पोर्न विडिओ देखकर मास्टर बेसन करता था इससे कई दिनों से मुझे पाँव मे भी जकड़न आ रही थी. “
कांति के लिए ये ऐसी समस्या थी जिससे निपटने मे वो बेटे की मदद नहीं कर पा रही थी. और बेटे की असफल शादी ने उन सभी पर जैसा कहर ढाया था उससे वो लोग उबरने की कोशिश कर रहें थे.
तब पारस ने उससे कहा -“मम्मी !मै अच्छे डॉक्टर को दिखा कर ठीक होना चाहता हूँ. “
तब कांति ने पति से कहा और वो तीनों सुबह 9 बजे से आरोग्य अस्पताल पहुंच गए. जंहा 12 बजे के बाद उन्हें डॉ रोहित गुप्ता से मिलने का अवसर आया. डॉ ने तुरंत सिटी स्केन और ब्लड टेस्ट कराने कहा. साढ़े तीन बजे तक यंही सब करके रिपोर्ट लेकर फिर डॉक्टर से मिले तो डॉक्टर ने कहा -“अगले 24 घंटे सावधान रहें. लकवा दूसरे भाग मे न पहुंचे. पोटेशियम की कमी हो गईं है. “
तब सारी दवा व इंजेक्शन लेकर शाम तक वो लोग घर आ गए. कांति ने उसे थोड़ा खाना व दवा दी तो उसे नींद आ गईं. कांति ने राहत की सांस ली क्योंकि कई रातों से वो बेटे को जागता देख रही थी.
सुबह पारस काफ़ी स्वस्थ लगा पर हाथ मे जकड़न कम नहीं हुई थी. फिर भी आराम था. कांति ने भगवान और डॉक्टर दोनों का शुक्रिया किया.
तीन दिन बाद फिर दिखाए तो पोटेसियम टेस्ट से रिपोर्ट नार्मल आ गईं. डॉक्टर ने पुनः 7 दिन तक दवा लेने कहा.
घर पहुंच कर पारस बोला -“मम्मी !मै कुछ नया करना चाहता हूँ. “
कांति बहुत देर तक सोच कर बोली -“ऐसा करो तुम बियर पीकर देखो. “
पारस बियर ले आया जिसमें अल्कोहल नहीं था. शाम के पहले थोड़ा सा पीया तो उसे बहुत नींद आई. तब रात को वो उठा और बोला -“मम्मी !ये तो मीठी नहीं है. “
कांति ने कही -“यदि नहीं पी सकते तो जरूरी नहीं है. “
तब सच मे पारस ने बियर पीने का अनुभव लेकर मना कर दिया वो बॉटल पूरी पीने से. तब कांति ने उसे चेरी के रस के साथ दवा के रूप मे पति को दे दी थोड़ी सी. क्योंकि उन्होंने मनसुख को नहीं बताया था कि घर मे बियर मंगाए है.
कांति ने पारस को समझाया कि आप पोर्न विडिओ अब मत देखना. इसी से कमजोरी आई और अर्धांग लकवा हुआ था. जो अब ठीक हो रहा है.
किन्तु ये सब समझाते हुए भी कांति यंही सोच रही थी कि अपने बेटे के लिए एक सच्ची पार्टनर वो कंहा से लाये जिससे उसे यूँ अकेलेपन से त्रस्त होकर पोर्न न देखना पड़े. ये यक्ष -प्रश्न अभी भी कांति के समक्ष था और उसे इस मिशन पर निकलना था कि वो अपने एक जहीन व सुशील बेटे के लिए सच्ची हमसफ़र तलाश सके.
लेखिका -जोगेश्वरी सधीर
(रचना स्वरचित व मौलिक तथा कॉपीराइट के अधीन है )
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