जोगेश्वरी सधीर
मौलिक स्वरचित चित्रण रिपोर्ताज
जोगेश्वरी स्टेशन से गुजरते हुए इन बुजुर्ग को ज़ब बच्चों के गले मे बाँधने वाला नेपकिन बेचते देखती हूं तो मुझे भी ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रहने की प्रेरणा मिलती है.
जंहा 50 के बाद लोग सुस्त रहने लगते है उबासियाँ लेकर वक़्त काटते है वंहा ऐसे उदाहरण हमें प्रेरित करते है कि हम ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रहे. चुस्त -दुरुस्त बने ताकि निराशा और बढ़ती उम्र की बीमारी से बचे.
यंहा मै अनेक बुजुर्ग औरतों को भीख मांगते देखती हूं. वे घर मे नहीं पड़ी रहती और कुछ पैसे कमाने के लिए निकल पड़ती है.
इससे वे बाहर की दुनिया से और विविधता से जुड़ते है. अकेले घर के कमरे मे पड़े रहने से अच्छा होता है बाहर निकला जाये और जिंदगी और दुनिया से दो -दो हाथ किया जाये.
यदि आपकी हालत अच्छी नहीं है तो घर से ही कुछ रचनात्मक कीजिये पर सक्रिय जरूर रहे तभी जीवन के हर पल का आनंद लेंगे और अपने समय का सदुपयोग कर सकेंगे.
लेखिका जोगेश्वरी सधीर
Leave a Reply