ये हमारा टॉमी है अब नहीं है. तीन पाँव से ही दौड़ता था. कितनी यादें है उसकी. बस जब उसे याद करती हूँ तो बहुत भावुक हो जाती हूँ. आखिरी दिनों में उसके बाल झड़ गए थे वो बेहद कड़ाके की ठंड के दिन थे. वो मेरी ओर देख कर जैसे मुझसे कुछ मांगता था. मै उसकी मदद नहीं कर सकी. जब भी सोचती हूँ तो बहुत दुखी हो जाती हूँ और सोचती हूँ आज के बाद किसी जीव या प्राणी को जरूरत पड़े तो जैसे भी बने उसके लिए वो सब कुछ करूँ जो कर सकती हूँ.
टॉमी !तुम मुझे बहुत याद आते हो और मै तुम्हें मिस करती हूँ जब भी कुछ बनाती हूँ तुम्हें बहुत याद करती हूँ. तुम इस वीरानी जगह में हमारा बड़ा सहारा थे. और तुम्हारे जाने के बाद हमने हमेशा यंहा खुद को अकेले महसूस किया है.
लेखिका -जोगेश्वरी सधीर
बालाघाट मप्र 481001
Wht 8109978163
(मौलिक, स्वरचित व कॉपीराइट के अधीन )
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