मेरा प्राचीन भारत है कंहा…
कंहा है कंहा है?
मुझे मेरा देश लौटा दो..
मेरा स्वराज लौटा दो, स्वदेश लौटा दो
मेरा राष्ट्र कंहा है कंहा है?
वह सम्प्रभु,स्वाभिमानी, गौरवशाली
वह स्वर्णिम इतिहास कंहा है कंहा है?
वे पवित्र तुलसी के चौबारे
वे खेत-खलिहान
वो गौधन के ओसारे
वे गंगा के पावन जलधारे
कंहा है कंहा है
मुझे मेरे देश के ग्वाले लौटा दो…
वो दिये की जलती बाती
वह राम नाम की सुप्रभाती
वह चौपाइयों से गूंज जाती
पंचमेश्वरो की चौपलें
कंहा है कंहा है
कंहा है नारी की मर्यादाएं
कंहा है पुरुषों का तेजस शौर्य?
कंहा है बालकों की आज्ञाकारिता
कंहा है बालिकाओं का वंदन
मुझे परिवार का अभिनंदन लौटा दो..
कंहा है निश्वार्थ जीवन की रोली
कंहा है ममतामयी माँ की बोली
कंहा है भाईचारे की रंगोली
कंहा है सदभाव की होली
मुझे वो शुद्ध सरिताएं लौटा दो..
मेरे भारत का नक्शा
क्यों छिन्न -भिन्न है दिखता
क्यों भारतवासी का माथा
लज्जा से यूँ नीचा दिखता
मुझे माँ भारती का उन्नत भाल लौटा दो..
भोले भारतीयों को छलने वालों
राष्ट्रीयता से जलने वालों
राम को निर्वासित करने वालों
कृष्ण को बंदी बनाने वालों
हमें अवधमथुरा के चौबारे लौटा दो…
कवयित्री -जोगेश्वरी सधीर साहू
मोबाइल -9399896654
(कविता मौलिक व स्वरचित है )
@कॉपी राइट
रचना तिथि -9-12-99
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